शनिवार, 29 दिसंबर 2012

ये कैसे सभ्य


आज एक लड़की चली गयी है , जाते जाते जाने कितने सवाल  छोड़ गयी जो पता नहीं कब तक जवाब ढूंडते रहेंगे| शायद कंस के हाथों मरने वाली नंद यशोदा की असल पुत्री रूपी देवी का रूप होगी| लेकिन उस देवी ने तो कृष्ण छोड़ दिया था , अभी कृष्ण हम हैं , हमपे छोड़ गयी वो दुनिया |

सवाल सिर्फ एक घटना का नहीं है, सवाल है मानसिकता का, जो अंतर पैदा करती है| भ्रूण हत्या या दहेज हत्या| इनके अनगिनत उदाहरण आपको अगल बगल झांकने पर मिल जाते हैं| हत्या तो  चरम सीमा है , और न जाने कितने उदाहरण जो वहां तक न पहुच पाए हों पर उनकी वीभत्सता शायद ही कुछ कम हो| हम गिनना नहीं चाहते न| 

जो भ्रूण हत्या से बच गयी वो हमेशा उपेक्षा का शिकार होती है नैहर में, फिर ससुराल में दहेज हत्या होने तक| जो उससे भी बच गयी वो तो फूटी किस्मत ले कर ही आई थी , फिर उपेक्षा सहो जिंदगी भर | 

शहर में जब आप जींस पहन के घूमते रहते हैं , लेकिन वहीँ अगर एक लड़की को जींस पहने हुए या  बाइक चलाते देख कर खुला हुआ आपका मुह भी कही न कही इस मानसिकता को आगे बढाता है, अगली पीढ़ी तक | हम समझ न पाते हों शायद , या दिखावा करते हों न समझने का|

क्या हम सभ्य हैं? मुझे तो बचपन में पढ़ी ये पंक्तियाँ याद आती हैं आज के परिपेक्ष में सटीक बैठती हैं 

“झड गयी पूंछ, रोमांत झडे, पशुता का झडना बाकी है
बाहर बाहर तन संवर चुका, मन अभी संवरना बाकी है|”

ऐसा नहीं है कि सब ऐसे हैं , लेकिन कुछ खराब फल पूरी टोकरी को खराब कर देते हैं | इनमे कुछ कमल भी होते हैं जो कोशिश करते रहते हैं अपने तरीके से, अकेले, एकदम अकेले|

दक्षिणी रमना रोड पर डॉ अभय के पास अल्ट्रासाउंड के मशीन सालों से है , लेकिन कानून आने से बहुत पहले भी वो कभी लिंग निर्धारण नहीं करते थे, जो जिद करते उनसे मशीन खराब होने के बहाने बना देते| बाकी  आ गए, चालु कर दिया पर उन्होंने नहीं किया| ऐसे कर्मठ और सिद्धांतों वाले डॉक्टर जो सिस्टम के खिलाफ , धारा के विरुद्ध चले जा रहे है अपना सच लेकर, अकेले, सही में सम्मान योग्य हैं, हमारा सलाम है उनको |

ऐसे और भी है जो लड़ रहे हैं| कहीं न कहीं हमें संकीर्ण मानसिकता बदलनी होगी , पढाई सिर्फ किताबों में नहीं जिंदगी जीने वाली सलीको में भी है| किताबे पढ़ के दहेज का मुंह बा (खोल) दिया तो ऐसे किताबी ज्ञान का फायेदा क्या? 

कुछ हैं जो समझते हैं , कि सही मायने में शिक्षा और बहु आयामी सोच ही इन समस्याओ के हल की ओर बढ़ा सकती है , वो लग गए है बच्चों को आगे बढ़ाने में , गांव गांव जा कर , मौका देने में नयी पीढ़ी को , क्यों की हल वही से आना है | इसी दिशा में आरा की ‘यवनिका’ का बाल महोत्सव का पहल बेहद प्रशंसनीय है|

समय आ गया की एक नया नजरिया आप और हम भी बदलें, नहीं तो कही पीछे रह जाएँ, घर के लोग, आखिर आपके बच्चों को शिक्षा आपको ही तो देनी है| बदलना है मुझ को, समाज बहुत सारे मुझसे ही तो  बनता है|

आज के समाज में जरुरत है मसीहा की| राजा राम मोहन राय को फिर से बुलाओ , पडोसी के घर से नहीं , खुद के अंदर से बुलाओ|

रविवार, 23 दिसंबर 2012

Machis ki tili

माँ ने तो सूरज जन्मा था फिर क्यों माचिस की तीली बन गए हम जो १ मिनट फडफडा कर बुझ जाते हैं

सोमवार, 17 दिसंबर 2012

Ten Commandments of SC/ST bills

Ten Commandments of SC/ST bills in future:

1) Any SC/ST Person can do Engineering in 3 years. They will also get complimentary M.Tech/MBA degree (of thier choice) on completion of Engineering.

2) Any SC/ST Person can do Shaadi in 5 Pheras only and give birth to child in 7 Months.

3) Any SC/ST Person can become doctor by signing a contract and taking an oath that he will never treat a politician or his/her family member.

4) If in aTrain if TTE is SC/ST, people have to go to his seat for checking thier ticket. Those who don’t go to him within one hour will be considered without ticket and their seats will be allocated to waitlisted SC/ST passenger if any, otherwise TTE can Auction those seat and keep money.

5) Any SC/ST pilot can run plane on Autopilot and ask his junior general category co pilot for takeoff and landing.

6) Any SC/ST Person serving in Army will wear Blue Color 'Jai Bheem' jacket and will have Dudh Bhaat, India will sign treaty with Pak not to shoot SC ST person. if SC/ST person shoot his own person, he will still be recommended for Bravery Awards. however if he kills any SC/ST person, he will be treated from General Categories and will face court martial.

7) Any SC/ST person will get Senior Citizenship status at age of 40 as a promotion. General Categories of 60+ people need to vacate seat for 40 Year old SC/ST category person in public transport.

8) Any SC/ST Businessman choose to defaults, his dues will be paid by Govt

9) No General Category Person is authorized to do Appraisal of his SC/ST Junior. SC/ST person Appraisal can be done by another senior SC/ST guy only. If there is no Senior SC/ST person available, he is authorize to do Self Appraisal, where he can recommend himself to be boss of his current General Category Boss.

10) If SC/ST person choose to be a Terrorist, 4 Bomb Blast and Killing of 30 General Man will be allowed to him, but if he kills a single SC/ST Person even by mistake , he will treated as General Category Terrorist.

* All these facilities are only for those whose forefathers have taken SC/ST facilities. if No one in your family have taken any reservation facilities, you will be treated as Non Creamy layer Economically Backward General Category only.
 (Please note that this is pure satirical take on govt policy on reservation, Author is against any reservation and has nothing against any particular Caste or section of society. Author in fact is against any form of discrimination based on caste,  reservation is one of tool for executing discrimination, copy or reproduction either in full or part without written permission of Author is not allowed, copyright reserved with author)

रविवार, 16 दिसंबर 2012

महुआ या मेथनोल

जहरीली शराब वाला केस में कोई सरकार को गरिया रहा है , कोई पुलिस को , कोई स्थानीय प्रशासन को , तो कोई उत्पाद विभाग , तो कोई स्प्रिट मुहैया करने वाले दवा दूकान वालो को | बहुत तो सिर्फ लगे है राजनीतिक रोटिया सेंकने में |

हर राज्य (अधिकारिक तौर पर शराब मुख्त राज्य जैसे गुजरात , नागालैंड , लक्षद्वीप के अलावा) का १०-३०% राजस्व शराब पर लगाये गए करो से आता है , जाहिर है अवैध शराब बेचने पर सरकार को समस्या
तो होगी ही| वर्ना जिस राज्य में पहले से हर वर्ग किलोमीटर में ११०० से अधिक लोग है वहां कुछ के जाने से क्या फर्क पढ़ने वाला है , कुछ पलायन कर चुके है , कुछ मौत से थोड़ी बेहतर जिंदगी जी रहे हैं, कुछ और मरे |

खैर इतिहास गवाह है शराब ने बहुत कुछ बर्बाद किया और करवाया है, कभी घरों को , कभी रिश्तों को और कभी जिंदगियो को |

ऐसा नहीं है कि मैं असवेंदनशील हूँ और मुझे अफ़सोस नहीं है इस घटना का , लेकिन एक चीज़ मुझे हमेशा सताती है जो समझ से परे है , कि शराब में ऐसा क्या है कि हम पीने की आदत बंद नहीं कर पाते हैं? खैर साहिल पर खड़े हो दरिया के तूफानों के अनुभव के बारे में बोलने का हक तो नही है |

दारु पीना हरेक का निजी फैसला है और जब कोई जान बुझ कर मरना चाहता है तो मरो , बाद में हम आकर आपको शहीद घोषित करंगे , जैसा हर मरने वाले के साथ करते हैं , फिर हम शराब की गुणवत्ता पे सवाल भी उठेंगे , घबराईये मत कभी भी हम मरने वालों पे सवाल नहीं उठाते आपपे भी नहीं उठायंगे , पीते रहिये , ठर्रा , देसी , महुआ , चिमकी पाउच , इथेनोल और और किस्मत रही तो एक अंतिम बार मेथेनोल भी , आखिर परिवार को अनाथ करना भी तो जरूरी है, नही तो जो जीवन बीमा कंपनी से पैसा कैसे निकलेगा , आखिर ऐसे ही थोड़े आरा एल आई सी का सबसे बड़ा शाखा है |

सोचियेगा और लगे तो राय भी लिखियेगा | हँसाना गुदगुदना जारी रहेगा , बीच बीच में कभी कभी बस यूँ ही ...... |

(ये पोस्ट चंद दिनों पहले आरा में हुई जहरीली शराब से हुई अनेक मौतों वाली दुर्घटना के ऊपर किसी और फोरम में लिखा गया है, थोडा अलग व्यंग का समन्वय है लेकिन किसी की भावना खासकर इस दुर्घटना में शिकार लोगो और उनके परिजनों की भावना को ठेस पहुँचाना मेरा मकसद नहीं है , फिर भी अगर कोई आहत हुआ है तो माफ़ी चाहूँगा , और एक निवेदन करूँगा की शराब छोड़ सके तो छोड़ दे, कोई आपके घर पर आपका आसरा देख रहा है| )

शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

धर्म: आज के परिपेक्ष में कितना अछूत


सबसे अलग दिखने की चाह है , बहुत ज्यादा ज्ञान होने का अज्ञान है या सरल शब्दों में बेवकूफी: समझ नहीं आता | धर्म के प्रति बढती अज्ञानता और अनिभिज्ञता, बेहद ही चिंता का विषय बनती जा रही है |

फेसबुक पर लोग कूल बनते हैं , खैर कूल होने के दो मतलब होते हैं , एक होता है ठंडा होना दूसरा होता है काहिलपन करना, अब इन दोनों का मतलब समझाने कि क्या जरुरत है | थोडा गंभीरता लाये तो मुझे बड़ी तकलीफ होती है , जब लोगो का धार्मिक रुझान देखता हूँ , कुछ तो बड़ी शराफत से सच लिख देते है , कुछ atheist,  कुछ नहीं लिखना पसंद करते हैं , इन तीनो को पचा लेते हैं, फिर कुछ आते हैं , moderate, believer , humanitarian, agonist , theist और पता नहीं क्या क्या , कुछ अपने जाती  लिख देते हैं, क्योंकि धर्म दंगा करते है और जाती पद उन्नति , तो जाहिर है कौन सा जरूरी है |

धर्म का आज के दिन में सबसे हास्यापद हो गया है , शायद आगे और भी होगा क्यों कि नयी पीढ़ी का इससे कोई सरोकार नहीं हो पा रहा है , लोगो के पास समय नहीं है , उपभोगतावाद बढ़ रहा है , मंहगाई दर बढ़ रही है , पैसे की जरुरत भी| एक दौड चालु हो गयी है ओलंपिक की तरह , गोल मैदान में जहाँ हम दौड रहे हैं , एक के पीछे दो, दो के पीछे ३|

“तीतर के दो आगे तीतर , तीतर के दो पीछे तीतर” वाली कहावत याद आती है| सब दौड रहे है क्यों कि कोई न कोई आगे है , उनसे आगे निकलने के होड में दौड चल रही है| अब गोल चीज़े भी कभी खत्म हुई है भला आज तक |

इसी दौड में माँ बाप दोनों लगे है , बच्चे का भविष्य बनाने के लिए , वर्तमान प्ले स्कूल और आया के भरोसे , दादा दादी नाना नानी का कोई स्थान नहीं , दौड चालु है पैसे की होड में ताकि लड़का टॉप स्कूल जा सके , जहाँ कंप्यूटर से पढाई हों , लैपटॉप ले के पढ़े  , वातानाकूलित कमरों में , एकांत में , न कोई दौडना , न मैदान में खेलना, न दोस्तों से लड़ना , न दोस्त बना पाना , न रिश्तेदार , न ही माँ बाप का समय | मिलता है तो टेली विसन और इंटरनेट और उनकी कृत्रिम या आभाषित दुनिया जहाँ जो दिखता है वो होता नहीं है | सब कुछ सही, परफेक्ट, न कोई रास्ता भटकता है, न नयी चीजे ढूंडता है, क्यों की गूगल पे सब सही होता है|

टेलीविसन ये सीखाता है दुनिया में सबसे बुरी चीज़ है धर्म , आतंकवाद जेहादियो ने किया , जेरुसुलम भी धर्म की देन है , अयोध्या भी | ४७ का विभाजन , ८४ के दंगे , ९२ के बम विष्फोट , और २००२ का गोधरा , बस यही देन है धर्म का | उसपे तडका लगता है राज नेताओ का पलटी  मार के पैसे ले के सुपोर्ट कर देने के कला का, क्योंकि सांप्रदायिक ताकतों से मुल्क को बचाना है, हम भी तो वोट करते है विकास के नाम पे नहीं धर्म के नाम पर , जाती के नाम पर |  

अपना कोई बोध नहीं , न कोई चिंतन , न आत्म चिंतन, बस एक होड़ भीड़ के साथ चलने की और उन्से अलग दिखने की | बहुतो से मिला हूँ जो एलिट बन गए हैं , वोट नहीं देते, बच्चे सिनेमा हाल नहीं जाते , दूकान नहीं जाते, खेलने जाते हैं इनडोर क्लब में , घुमने जाते हैं देश के बाहर , धर्म तो मिडल क्लास चीज है LS (Low Society) चीज है | जो सही में संख्या में ज्यादा है , लेकिन किस्मत में कम , उनको कौन पूछता है , बस धर्म के नाम पे पैसा देते है ताकि १० गुना पैसा वापस आये , जैसे भगवान न हुए इन्सुरेंस की पोलिसी|

सबने मान भी लिया है , एक समय था जब दिन में लोग प्रवचन सुनते थे महान आत्माओ के जो शहर शहर गांव गांव घूमते थे , दायरा और पहुँच कम थी इसलिए अच्छे लोग ज्यादा थे| फिर टेलीविसन आया, तब तक ठीक था फिर केबल आया , अपने साथ लाया  रात को उटपटांग चलचित्र, जिन्हें असामजिक टाइप के लोग देखने लगे, कुछ युवा उत्सुकता वस देखते उन्हें, फिर समय बदला लोगो ने समझा और ऐसे चलचित्र मुख्य धारा के हिस्सा बन गए, और ऐसी चीजे दिन में ही आने लगी , कुछ समाज के चिंतित और कुछ दोगले ठेकदारो ने इसे रात को ही दिखाने की वकालत की | खैर हुआ कुछ नहीं एक स्थान रिक्त हों गया , अब रात को क्या दिखया जाये , तो उन्ही समाज के बह्कृत लोगो ने एक मौका देखा क्यों न रात को प्रवचन चालु किया जाये , भगवान बेचो , वैसे भी खुद समझ नहीं आये तो दूसरों को बेचो शायद वो समझ पाए | धंधा चल पढ़ा ,  पैसे कमाने लगे लोग|

आपको तो पता होगा | इस धर्म निरपेक्ष देश में क्रिमिनल कानून तो एक है , लेकिन पर्सोनल कानून हर धर्म के लिए अलग अलग है|

बस फिर क्या था लोगो ने होड़ लग दी , राम और कृष्ण के साथ अल्लाह यीशू और गुरुनानक भी बाजार में आ गए , शायद इस आस में की किसी दिन कोई मुझे समझेगा| लेकिन जनाब ऐसे लोग बनाते कहाँ हों आप लोग आज कल, “अब बबुल का पेड़ लगाइएगा तो आम कैसे मिलेगा , झेलिये बबूल का कांटा और बिकिये बाजार में १०० में पीस के भाव|

अल्लाह थोड़े लकी थे मूर्ति पूजा बंद कराई थी , बस लोगो ने उनका उर्दू अरबी में लिखा उनका नाम और ७८६ बेचना चालु कर दिया| प्रोतोसेंत थे वो क्रोस खरीदने लगे ,फिर सब लोग क्रोस लेने लगे | धर्म कही पीछे छूट चुका था , जो था वो दूर दूर तक धर्म नहीं कहा जा सकता था |

फिर नया फैशन भैया हम तो धर्म को मानते ही नहीं है , असल में ये धर्म को जानते ही नहीं है , क्योंकि अगर जानते तो ये भी जानते कि किसी भी धर्म को जानने पड़ता है मानना नहीं , धर्म बनाता है जिंदगी को आसान बनाने , और जिंदगी जीने के छोटे छोटे सलीको से जो आपके माँ बाप और रिश्तेदार, समाज और शुभचिंतक आपको सिखाते हैं जो सलीके आपके व्यक्तित्व में इंसानियत जीवित रखते हैं | धर्म का मतलब सिर्फ पूर्व दिशा मे शीश झुका जल चढाते हुए नमन करना और पश्चिम में झुक कर सजदा करना नहीं है वो तो हिस्सा है छोटा सा एक बढ़े जीने के तरीके जो आज कल हम सीखा नहीं पा रहे|

एक ठो और फैशन हुआ है रिलेशनशिप रुझान ‘its complicated लिखने का , खैर उसकी बात कभी और|

(यह लेख मेरी व्यक्तिगत सोच है , और किसी की धार्मिक भावनाओ को ठेस पहुँचाना का मकसद नहीं था , फिर भी अगर अनजाने में  ऐसा हो गया हो तो माफ़ी चाहूँगा)

बुधवार, 12 दिसंबर 2012

अहिंसक महात्मा v/s नपुंसक गाँधी


“पांच सात अमीरजादे, एक बेबस लड़की को जबरन पकड़ लेते हैं , फिर उसका बलात्कार , कोई उनका साथ नहीं देता, लड़की या तो आत्महत्या कर लेती है या लाश बन के जीती है, अगर आवाज उठाई तो उसकी इज्जत अदालत में फिर से लुटी जायेगी| पुलिस अमीरजादो के बाप के पैसे के नीचे दब जाती है| लड़की का बेबस पिता  समझौता कर लेता है और लड़की अगर जिन्दा हुई तो उसको भी कर देता है| शायद एक वकील गोविन्द , एक पुलिस इंस्पेक्टर तेजस्विनी, का जमीर जिंदा रहता है तो वो विद्रोह करते हैं सिस्टम के खिलाफ , लेकिन उनका साथ भुक्तभोगी भी नहीं देते|”

पता नहीं कितनी बार चलचित्रों में ये देखा होगा | सब रोए , चिंता व्यतीत की , ताली बजायी , खुश हो गए कि सब ठीक हो गया अंत में , लेकिन अगर इसके बदले ये हुआ तो ?

“पांच सात गरीब प्यादे , एक अमीर लड़की से मिलते हैं  उसकी मदत लेते हैं उसका ही खाना खाते हैं, फिर जब उसके पैसे छीन लेते हैं,  उसका बलात्कार कर देते हैं , लड़की का अमीर बाप क्या करेगा वो बोलता है जो लड़के हैं उन्होंने कुछ किया ही नहीं| लड़की को वापस बुला लो घर| ये लड़के तो हमारे मोहल्ले के शरीफ बच्चे हैं| फिर वो अपनी दूसरी बेटे-बेटियों को भी भेजता है उनके पास” 

ज़ाहिर है या तो आपको भरोसा नहीं हो रहा होगा या फिर ये बाप बेहद ही गैर जिम्मेदार और बेवकूफ किस्म का लग रहा होगा या ये कहानी बेहूदा| खैर ये कहानी सच नहीं हो सकती ... तो यूँ सुनिए

"जी एम आर ने मालदीव में एयर पोर्ट बनाया , सरकार बदल गयी , नयी सरकार ने दूध में से मक्खी निकल फेंक दिया , अदना सा देश , जिसको सहायता देने में भारत अग्रणी है उसने ऐसा किया | फिर बोला जाता है हम लाबी नहीं करते हम दूसरे देशो के तरह अपने सहायता के बदले अपनी कंपनी की सुरक्षा नहीं चाहते, हम तो जी बस अच्छे कहलाते रहे चाहे हमें तमाचा मारते रहो|"

जी न तो मेरा जी एम आर से कुछ लेना देना है न कोई विशेष सहानुभूति है न दुश्मनी, लेकिन मेरा इशारा एक घटना मात्र की तरफ नहीं है  

ये कुछ नया नहीं है , श्रीलंका में ऑपरेशन पवन के बाद राजीव गाँधी की मृत्यु और ऑपरेशन विजय के बाद बंगलादेश का आँख दिखाना ज्यादा पुराना नहीं है | शिमला शिखर वार्ता किसे याद नहीं ? लाहोर कराची दे आये लेकिन गिलगित बल्तिस्तान न हमने मांगा न मिला उल्टा श्रीनगर भी जाते जाते बचा है | अगर वो धूमिल पड़ गयी हों तो कसाब साहब और अफजल गुरु तो तो याद होंगे , दो चार लोगो को कसाब बच्चा लग रहा था | 

हम निर्णय नहीं ले पाते , हम निर्णय लेना ही नहीं चाहते , हमें लगता है निर्णय न लेना भी एक निर्णय है | जनता बेवकूफ है उन्हें ड्रामा दिखाते रहो |

क्या अहिंसा नपुंसकता को कहते हैं ? महात्मा ने कभी नहीं बोला ये, हाँ अपितु गाँधी जरुर बोलते आ रहे है कई सालो से |

शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

मेरी नाम की दूकान


मेरा नाम राम चन्द्र सिंह वल्द दशरथ सिंह शहर अयोध्या जिला फैजाबाद उत्तर प्रदेश|

२० साल पहले लोगो ने मेरी छत छीन ली , कुछ वकील टाइप लोग मेरा केस लड़ते लड़ते राजा बने और राजा का जीवन व्यतीत कर रहे हैं लेकिन मैं अभी भी त्रिपाल में बैठा हूँ , अभी भी सुप्रीम कोर्ट में फैसला अटका है , कभी मेरे पिता जी राजा होते थे , आज कल कोट केस में घर फंसा हुआ है | भाइयो को यह कह के बेदखल कर दिया गया की बाबु जी ने ३ शादी की थी | आई पी सी अधिनियम के तहत यह गैर क़ानूनी है इसलिए बाकी माँ के बेटों का कोई हक नहीं है , मैं चुकी पहली पत्नी का बेटा हूँ इसलिए केस लड़ सकता हूँ | राजवाडा खतम हों गया है , अब लोकतंत्र है सुना है , सब राम राज्य की बात करते है , पता नहीं इनके राम राज में राम को २ गज ज़मीन का टुकड़ा कब मिलेगा , ऐसा प्रतीत होता है के राम नहीं राजा बलि होऊं| मर्यादा पुरुषोतम होना काम आ रहा है , वर्सन ७ ठीक है, नहीं तो वर्सन ८ को कोई  पूछे ही न | खैर देखते हैं कभी तो कोर्ट का फैसला आएगा , नहीं तो लव कुश का क्या होगा , मैंने तो हम दो हमारे दो में भी फिट बैठता  हूँ|

शायद इस बार जगह मिल जाये , अल्लाह रूप में घर से निकाल दिया , राम रूप में भी , सही में कुछ तो हैं जो मेरी भी समझ और सोच से भी ऊपर और परे है, वो मेरा नाम पे दूकान चलाते हैं  और मुझे ही बेचते हैं सस्ते में अपने फायदे के लिए , कभी कभी डर के रूप में कभी आसरे के रूप में |